
A high angle shot of a gavel and a scale on a wooden surface
सामान्यत: फौजदारी मामलों का विचारण जब सेशन न्यायालय में होता है तो सेशन न्यायालय के कुछ कर्तव्य होते हैं कि सेशन विचारण में न्यायाधीश को केवल मूक- दर्शक होकर बयान लिखने की मशीन नहीं बनाना चाहिए, उन्हें सच्चाई का पता लगाकर सजग रहकर, जहां आवश्यक हो वहां सवाल पूछने चाहिए। लेकिन उन्हें न अभियोजन और न अभियुक्त के प्रति पक्षपात दिखाना चाहिए, और न ही गवाहों को धमकी देकर प्रश्न पूछना चाहिए ।
न्यायालय को मेडिकल विज्ञान के प्रति सजग होकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। चूंकि फौजदारी मामलों में अभियोजन को स्वयं अपनी कहानी को साबित करना होता है और उसे स्वयं अपने पैरों खड़ा होना पड़ता है। वह सफाई पक्ष की कमजोरियों का लाभ नहीं उठा सकता और न ही न्यायालय कोई नया केस लेकर अभियुक्त को द्वेषसिद्ध कर सकता है। यदि सेशन विचारण में घटना – स्थल के मानचित्र में गांव के महत्वपूर्ण भूमि चिन्हों को नहीं दिखाया गया है तो न्यायालय गांव के लेखपाल को नया मानचित्र बनाने का आदेश दे सकता है।
विचारण के समय न्यायाधीश को अपने व्यक्तिगत विचार और दृष्टिकोण को अभियुक्त के विरुद्ध साक्ष्य के रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसके ऐसे विचार अथवा दृष्टिकोण की परख जिरह द्वारा नहीं की जा सकती और न अभियुक्त को इस सम्बंध में अपनी स्थिति को स्पष्ट करने का अवसर मिलता है।
विचारण में लोक अभियोजक को मेडिकल गवाहों को सावधानीपूर्वक परीक्षित करना चाहिए रिकॉर्ड पर डॉक्टर की इस आशय की राय ली जानी चाहिए कि क्या कथित चोटें प्रकृति के सामान्य क्रम में हैं या चोटें गम्भीर प्रकृति की हैं इस प्रकार न्यायाधीशों को मेडिकल गवाहों के बयानों को लेखबध्द करने में सावधानी बरतनी चाहिए और इस बात की सतर्कता बरतनी चाहिए कि सुसंगत तारीखें , सामग्री फाइल रिकॉर्ड पर आ जाए। न्यायालय का कर्तव्य है कि वह पक्षकारों द्वारा पेश किए गए साक्ष्य पर अपना नियंत्रण रखे और साक्ष्य को सुरक्षित रखे।