
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि आरोपपत्र दाखिल हो जानें के बाद भी अपराधिक कार्यवाही को रद्द करने पर कोई रोक नहीं जिससे कानूनी प्रक्रियाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए न्यायपालिका की जिम्मेदारी मजबूत होगी,
कोर्ट ने कहा है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट अर्थात एफआईआर में लगाए गए आरोप अस्पष्ट और सामान्य हैं और उनमें भौतिक विवरण का अभाव है या कार्यवाही सिविल प्रकृति की है या कार्यवाही बदले की भावना से दुर्भावनापूर्ण की गई है तो इस प्रकार मामला जहां पाया जाता है।
वहां चार्जशीट दाखिल हो जानें के बाद भी एफआईआर और चार्जशीट को रद्द करने के लिए धारा -482(बीएनएसएस धारा 528) के तहत उच्च न्यायालय अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि यदि आरोप बिना किसी ठोस सबूत के आरोप पत्र में बदल जाते हैं तो कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बढ़ जाता है।